हजरत खुवाजा फरिदुद्दीन वली कैसे बने
अतार अतारी की दुकान किया करते थे एक रोज आप अपनी दुकान मे एक रोज आप अपनी दुकान मे तसरीफ फरमा थे कारोबार चल रहा था लोग आ जा रहे थे आपने एक फकीर को देखा जो मुसलसल कई घंटो से उनकी दुकान के सामने खड़ा दुकान के साजो सामान और आराइश को गौर से देख रहा था खुवाजा अतार ने कई मर्तबा उसको नजर अंदाज किया मगर फिर आपका ख्याल उसकी तरफ चला ही गया फकीर भी टिकटिकी बांधे दुकान की तरफ देख रहा था आखिर खुवाजा साहब से ना रहा गया और उन्होंने उस फकीर को मुख़ातिब करके कहा आये खुदा के बन्दे तुम मुसलसल कई घंटों से यहाँ खड़े अपना वक़्त जाया कर रहे हो,
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